कान्हा अपने भक्तों को, मत जाना कभी भूल ।
चाहे हम पास रहें, या रहे दूर ॥
हमे दरश तो, अपना देना जरुर ।
चाहे हम पास रहे, या रहे दूर ॥
कान्हा अपने भक्तों को....२
अपने मनमोहन का, रूप निराला ।
श्याम सलोना, माँ यशोदा का लाला ॥
मनमोहन गोपाला, का है रूप अनूप ।
चाहे हम पास रहे, या रहे दूर ॥
कान्हा अपने भक्तों को....२
जो भी देखे वो, हो जाये उसका ।
जैसा भी ध्यावो वो तुम्हे, वैसा ही दिखता ॥
नटवर कन्हइया की है, लीला भी खूब ।
चाहे हम पास रहे, या रहे दूर ॥
कान्हा अपने भक्तों को....२
ना ही चाहिये उसे, सोना या चाँदी ।
ना ही चाहे वो, मखमल की गादी ॥
बस श्रद्धा ही सबसे बड़ा, है उसका भूख ।
चाहे हम पास रहे, या रहे दूर ॥
कान्हा अपने भक्तों को....२
वो तो है सबमे,सब तो है उसमे ।
श्रद्धा से बुलाओ, वो रहता है दिल मे ॥
भक्तों को रखता है अपने ,जैसे कोई फूल ।
चाहे हम पास रहे, या रहे दूर ॥
कान्हा अपने भक्तों को, मत जाना कभी भूल ।
चाहे हम पास रहें, या रहे दूर ॥
हमे दरश तो, अपना देना जरुर ।
चाहे हम पास रहे, या रहे दूर ॥
कान्हा अपने भक्तों को....२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
29-08-2013,thursday,9:30am,
pune,maharashtra.
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