Monday, 19 February 2024

रिमझिम बरसे रे बदरिया

रिमझिम बरसे रे बदरिया,
मोर आये ना संवरिया
अब तो पिया बिन रहा नही जाये
देखो मगन है सब गोरिया
जिनके साथ मे संवरिया
मोको ताना देके कैसे वो चिढ़ाये
रिमझिम बरसे रे बदरिया....

देखो उमड़-घुमड़ के बरसे बदरवा
मोर भीगे रे चुंदरी,भीगे अंचरवा
पापी बूंद ये मोको जलाये
सर-सर ठंडी चले हवा
मोर पिया हैं बिदेशवा
मोहे बिरहा को पागल ये बनाये
रिमझिम बरसे रे बदरिया....

दिन तो कैसे हम गुजारे
रैना काटी नही जाये
मेरे नयनों से नींद उड़ाये
रहि-रहि बिजली सी चमके
मैं तो रहूं डर-डर के
ये मेरे धड़कन दिल की बढ़ाये
रिमझिम बरसे रे बदरिया....

अब तो जा पिया परदेशिया
मैं तो हो गई रे बवरिया
सावन रहि-रहि के मोहे तड़पाये
लागे तन मे अगन
मैं अब का करूं जतन
अब दिन ये बीते  ना बिताये

रिमझिम बरसे रे बदरिया
मोर आये ना संवरिया
अब तो पिया बिन रहा नही जाये
देखो मगन है सब गोरिया
जिनके साथ मे संवरिया
मोको ताना देके कैसे वो चिढ़ाये

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
28-08-2000,monday,7:45pm,(380),
chandrapur,maharashtra.


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