Monday, 19 February 2024

उठो विदर्भ के अमर सपूतों

उठो विदर्भ के अमर सपूतों,
अपने विदर्भ को राज्य बनाने की
अब और उपेक्षा बर्दास्त नही,
तैयार हो इन अंधे-बहरों को समझाने को

अपनी हुकूमत चला करके,
ये हमारे प्यारे विदर्भ को लूट रहे हैं
सीधे-सादे हम लोगों के,
ये खून मजे से चूस रहे हैं

शांति की  बोली हम बोल रहे,
पर इन्हें सुनाई नही देता
क्रांति सदा पसंद है इन्हें,
इन्हें नमस्ते दिखाई नहीं देता

एक कहावत है यारों,
कभी सीधे अंगुली से घी नहीं निकलता है
बिना संघर्ष के इस जमाने में,
अपना कोई भी हक नही मिलता है

आलस्य-प्रमाद को दूर भगा,
आओ हम कुर्बानी देने को तैयार रहें
विदर्भ राज्य बना करके,
हम सबके सपने साकार करें

मोहन श्रीवास्तव(कवि),
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
28-08-2000,monday,6:10pm,(379),

chandrapur,maharashtra.

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