Monday, 19 February 2024

गजल (कैसे-कैसे हैं लोग दुनिया मे)

कैसे-कैसे हैं लोग दुनिया मे ,जो की झुठे ही प्यार करते हैं !
अपना मतलब निकालने के लिए,सारी दुनिया के यार बनते हैं !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया मे..................

मेरे पहलू मे भी एक आया था,जो की मेरा बहुत अजनबी था !
पर मेरे पास मे वो रहते-रहते अब तक मेरा बहुत करीबी था !!
कैसे-कैसे है लोग..............

मुझे ऐसी उम्मीद थी भी नही कि मेरा ऐसा हाल कर देगा !
छोड़कर  ऐसी हाल मे मुझको ,वो, कोई दुसरा पकड़ लेगा !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया...................

मुझे संदेह ऐसा होता था, ये मेरे साथ ऐसा कर देंगे !
पर मेरे दिल मे ऐसा होता था,ये मुझे रोशनी से भर देंगे !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया मे.....................

अब मुझे रोशनी-अंधेरे मे फ़र्क महसुस अब तो होने लगा !
अब तो मेरी मौत और ही मुझसे,कैसे ये और दूर होने लगा !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया ..................

उसने क्या-क्या गुल खिलाए थे,औए दिखाये थे सपने !
और मुझे दिन-रात प्यार वो करते,और बताते थे बातो को अपने !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया....................

सारी दुनिया से बेखबर थी मै,उस समय नही कोई दिखता था !
उसकी बाहों मे मै समा जाती,और न मुझे कुछ भी अच्छा लगता था !!
कैसे -कैसे है लोग...................

ये नन्हा पौधा मुझे बिरासत मे,उनसे उपहार है मिला मुझको !
अब तो मेरा यही सहारा है,और मै आसरा करुं किस पर !!
कैसे-कैसे हैं लोग..................

ये मेरी आरजू है तुम सब से,यदि किसी से तुम प्यार करते हो !
तुम कभी बेवफ़ा नही बनना,जो भी तुमसे कोई प्यार करते हो !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया मे.....................

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१३/१०/१९९१ ,रविवार,दोपहर ,.४० बजे,

एन.टी.पी.सी.दादरी,गाजियाबाद(.प्र.)

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