कैसे-कैसे हैं लोग दुनिया मे ,जो की झुठे ही प्यार करते हैं !
अपना मतलब निकालने के लिए,सारी दुनिया के यार बनते हैं !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया मे..................
मेरे पहलू मे भी एक आया था,जो की मेरा बहुत अजनबी था !
पर मेरे पास मे वो रहते-रहते अब तक मेरा बहुत करीबी था !!
कैसे-कैसे है लोग..............
मुझे ऐसी उम्मीद थी भी नही कि मेरा
ऐसा हाल कर देगा !
छोड़कर ऐसी हाल मे मुझको ,वो, कोई दुसरा पकड़ लेगा !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया...................
मुझे संदेह ऐसा होता था, ये मेरे साथ ऐसा कर देंगे !
पर मेरे दिल मे ऐसा होता था,ये मुझे रोशनी से भर देंगे !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया मे.....................
अब मुझे रोशनी-अंधेरे मे फ़र्क महसुस अब तो होने लगा !
अब तो मेरी मौत और ही मुझसे,कैसे ये और दूर होने लगा !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया ..................
उसने क्या-क्या गुल खिलाए थे,औए दिखाये थे सपने !
और मुझे दिन-रात प्यार वो करते,और बताते थे बातो को अपने !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया....................
सारी दुनिया से बेखबर थी मै,उस समय नही कोई दिखता था !
उसकी बाहों मे मै समा जाती,और न मुझे कुछ भी अच्छा लगता था !!
कैसे -कैसे है लोग...................
ये नन्हा पौधा मुझे बिरासत मे,उनसे उपहार है मिला मुझको !
अब तो मेरा यही सहारा है,और मै आसरा करुं किस पर !!
कैसे-कैसे हैं लोग..................
ये मेरी आरजू है तुम सब से,यदि किसी से तुम प्यार करते हो !
तुम कभी बेवफ़ा नही बनना,जो भी तुमसे कोई प्यार करते हो !!
कैसे-कैसे है लोग दुनिया मे.....................
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१३/१०/१९९१ ,रविवार,दोपहर ,१.४० बजे,
एन.टी.पी.सी.दादरी,गाजियाबाद(उ.प्र.)
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