कब से तो हम खड़े हैं,तेरे द्वारे शेरा वाली...२
दे दो दरश माँ हमको,हे अम्बे,भवानी,काली...२
कब से तो हम खड़े हैं...२
मन्दिर तेरा सजा है,कैसा अनोखा मइया....२
मन ये तो बस लगा है,चरणों मे तेरे मइया...२
हम तेरे द्वारे आये,बन के माँ इक सवाली..
कब से तो हम खड़े हैं...२
कोई नही हमारा,इस जहां मे अपना मइया....२
तेरा है बस सहारा,आके बचा लो नइया....२
झोली तू भर हमारी,जो है माँ अपनी खाली...
कब से तो हम खड़े हैं...२
सब की तूं लाज रखती,अपने हो या पराये....२
ईच्छा को पुरी करती,तुझे माँ जो दिल से ध्याये...२
अब तो दया माँ कर दे,हमपे पहाड़ा वाली....
कब से तो हम खड़े हैं...२
तुझको चढ़ाये क्या हम,कुछ पास ना हमारे...२
श्रद्धा के ये हैं आंसू,चरणों में माँ तुम्हारे....२
मेरे भाग्य तु बना दे,सृष्टि को रचने वाली....
कब से तो हम खड़े हैं,तेरे द्वारे शेरा वाली...२
दे दो दरश माँ हमको,हे अम्बे,भवानी,काली...२
कब से तो हम खड़े हैं...२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
23-12-2000,saturday,10:45pm,(435),
chandrapur,maharashtra.
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