मुर्दे न बनो ऐ विदर्भ वासियों,
अब जागो और आह्वान करो ।
विदर्भ राज्य जल्द बने हमारा,
यह दिल से तुम प्रण-पान करो ॥
जागो-जागो अब आखें खोलो,
अब वक्त सोचने का नही रहा ।
समय गवां दिया यूं ही तुमने,
अब भागो नहीं तुम यहां-वहां ॥
बस पृथक विदर्भ मुंह से कहने से,
यह हमको मिलने वाला है नही ।
जब तक दिल से आवाज नहीं निकलेगी,
और पहुंचेगा उनके कानों तक नहीं ॥
शांति का वक्त है गुजर गया,
अब क्रांति की आओ तैयारी करें ।
हे महाराष्ट्र जी तुम्हें राम-राम,
अब आओ हम विदर्भ राज्य गुंजारित करें ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
18-2-12-2000,monday,11:50am,
chandrapur,maharashtra.
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