भगवान कृपा के सागर हैं,
भक्तों पे दया करते रहते ।
आसूं जो बहाये उनके लिये,
उनके तो सदा दिल मे रहते ॥
भगवान कृपा के सागर हैं.......
उनके दिल में नहीं भेद-भाव,
सब जीव वहां पे बराबर हैं ।
या धनी हो या
हो गरीब कोई,
सबको मिलता वहां आदर है ॥
भगवान कृपा के सागर हैं.......
उनकी आखों में नींद नहीं,
सब सोते हैं वे जगते रहते ।
ममता के अपने आंचल से,
ऊपकार सदा करते रहते ॥
भगवान कृपा के सागर हैं.......
उन्हें भूख नहीं पकवानों की,
ना ही झूठा दिखावा उन्हें चहिए ।
श्रद्धा के भूखे हैं भगवन,
उन्हें प्यार सदा करते रहिए ॥
भगवान कृपा के सागर हैं.......
वे अन्तर्यामी हैं भगवन,
मन की हर बात वे जानते हैं ।
हर जीव की सब गति विधियों को,
वे भली-भांति पहचानते हैं ॥
भगवान कृपा के सागर हैं.......
कभी कोई इक बूंद आंसू,
जो उनके लिये बहाता है ।
ऐसे भक्तों के मान-लाज,
प्रभु आके सदा बचाते हैं ॥
भगवान कृपा के सागर हैं,
भक्तों पे दया करते रहते ।
आसूं जो बहाये उनके लिये,
उनके तो सदा दिल मे रहते ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
17-02-2001,saturday,9:40am,(456),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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