शिव स्तुति (आई शिवरात्रि) सुधारोपरांत
आई शिवरात्रि,खुशियों की रात्रि,
शिव जी गिरिजा संग राजें।
पावन त्योहार,शिव का श्रृंगार,
जिसे देख के काम भी लाजे ॥
आई शिवरात्रि,खुशियों की रात्रि...
होते ही भोर,मुर्गे की शोर,
सुनकर गिरिजा जी जागीं ।
होके तैयार,करके श्रृंगार,
भोले के चरण में लागी ॥
पूजा की थाल में रंग गुलाल,
संग धूप दीप भी साजे ।
पावन त्योहार,शिव का श्रृंगार,
जिसे देख के काम भी लाजे ॥1।।
आई शिवरात्रि,खुशियों की रात्रि...
चल दी हैं मातु,गणपति के साथ,
सुत कार्तिकेय को लेकर।
मन में उल्लास , दर्शन की प्यास ,
मिलने की आश खुश होकर।।
हिय में हैं ध्यान , करके पयान,
भोले जी जहां हैं बिराजे ।
पावन त्योहार,शिव का श्रृंगार,
जिसे देख के काम भी लाजे ॥2।।
आई शिवरात्रि,खुशियों की रात्रि...
विषधर हैं साथ, लिपटे हैं गात,
कटि में बाघम्बर प्यारा।
तन में भभूत, कर में त्रिशूल,
सिर पे अहि मौर है न्यारा।।
मस्तक पे चन्द्र, जूटों में गंग,
कर डमरू डम डम बाजे।
पावन त्योहार,शिव का श्रृंगार,
जिसे देख के काम भी लाजे ॥3।।
बिच्छू है कान, हरि का है ध्यान ,
जग के उपकार करइया।
वृष पे सवार, मुण्डों का हार,
खेते हैं सब की नइया।।
भूतों का संग, रंगा बसंत,
शिव जी कैलाश धिराजे।
पावन त्योहार,शिव का श्रृंगार,
जिसे देख के काम भी लाजे ॥4।।
आई शिवरात्रि,खुशियों की रात्रि...
पीते हैं भंग, अलबेला ढंग,
सब भक्त महेश मनाते।
चढ़े बिल्व पत्र, सर्पों का छत्र
कर जोड़ धतूर चढ़ाते।।
भोले प्रसन्न, गिरिजा जी धन्य,
शिव कंत त्रिकूट सुराजे।
पावन त्योहार,शिव का श्रृंगार,
जिसे देख के काम भी लाजे ॥5।।
आई शिवरात्रि,खुशियों की रात्रि,
शिव जी गिरिजा संग राजें।
पावन त्योहार,शिव का श्रृंगार,
जिसे देख के काम भी लाजे ॥
आई शिवरात्रि,खुशियों की रात्रि...
कवि मोहन श्रीवास्तव
खुश्बू विहार कालोनी अम्लेश्वर दुर्ग छत्तीसगढ़
सुधार कार्य 28.02.2024
http://kavyapushpanjali.blogspot.in/2014/02/blog-post_26.html
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक- ७-३-२०१३ ,बृहस्पतिवार,सुबह-५ बजे,
पुणे,महा.
No comments:
Post a Comment