सच्ची बातों से बेखबर क्युं तुम,
अब तो अपने बुलावे आएंगे !
हम मुसाफ़िर है चार दिन के लिए,
जाने कब हम तो चले जाएंगे !!
सच्ची बातों से........
ये तो ख्वाबों की दुनिया है यारों,
जिसमे काले और झूठे सपने है !
जब हम सो रहे थे तो अपने,
और जागने पर सपने हैं !!
सच्ची बातों से........
अपनी थोड़ी सी जींदगी मे तुम,
सब से मिलजुल के साथ मे रहना !
दिल मे करुणा दया बसा करके,
जग मे नेकी के काम तुम करना !!
सच्ची बातों से..............
जीना है तुम तो प्यार से जी लो,
कभी किसी का दिल दुखाना नही !
कर लो जग मे काम भलाई का,
बुरे कामो से कभी रुलाना नही !!
सच्ची बातों से............
जाना है सब को वहां पर तो,
हसते-हसते हुए हम जाएंगे !
तुम तो मायुश से हो क्युं मोहन,
हम तो यम को गले लगाएंगे !!
सच्ची बातों से बेखबर ........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२४/५/१९९९,सोमवार,शाम ६ बजे,
चन्द्रपुर महा.
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