आज प्यार से खेल रहे सब होली
आज प्यार से खेल रहे सब होली..
अबीर-गुलाल, भंग की गोली...
आज प्यार से खेल रहे सब होली..२
बच्चे भी खेल रहे,बूढे़ भी खेल रहे....२
अरे देखो जवानों की टोली
आज प्यार से खेल रहे सब होली...
पोती भी खेल रही,दादी भी खेल रही..२
भइया-भाभी की रसदार होली.
आज प्यार से खेल ...२
साले भी खेल रहे ,सरहज भी खेल रही..२
जीजा-साली की दिलदार होली..
आज प्यार से खेल ...२
ननद भी खेल रही, नन्दोई भी खेल रहे...२
बूआ-फ़ूफ़ा की मन रही होली..
आज प्यार से खेल....२
देवर भी खेल रहे,देवरानी भी खेल रही...२
जेठ-जेठानी की गजब होली
आज प्यार से खेल...२
जिनके पिया परदेश बसें हैं,उनके भी देख -देख जी तरसे हैं...२
पर उन्हें न सुहाये ,ये बैरन होली..
आज प्यार से खेल रहे सब होली..२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
रचनांकन दिनांक-२७-०३-२०१३,बुद्धवार,
मध्यरात्रि १.५० बजे,
पुणे, महाराष्ट्र
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