गुरूवों व संतों की कृपा दृष्टि से,
ये संसार आदि से चल रहा है ।
जिन पर भी इनकी दया है होती,
वो आदि से अब तक फ़ल रहा है ॥
बिना गुरू के ग्यान नही,
और संतों के बिना कल्याण नही ।
पर अब तो इनकी बाढ़ सी आ गई है,
हमे सही गलत की पहचान नही ॥
अब के संत बस लगे हुए हैं,
बस अपनी तिजोरी भरने मे ।
भक्तों की भीड़ जुटा कर के,
बस पैसा वसुली करने मे ॥
इनके चक्कर मे पिस रहे आज,
जो असली संत महात्मा हैं ।
जिन्हें किसी चीज का लोभ नहीं,
वे सिधी-सादी आत्मा हैं ॥
दूर रहो ऐसे लोगों से,
जो आप को आज ठग रहे हैं ।
भगवान के नाम का सहारा लेकर,
ये बस पैसा ही पैसा भज रहे हैं ॥
भजना है तो भगवान को भजो,
जो हम सबके पालन हार हैं ।
बस हृदय मे सच्चा विश्वाश रहे,
वो सुनते सबकी पुकार हैं ॥
ये कैसा युग है भाई कि,
गृहस्थ कंगाल हो रहे हैं ।
उनके घर खाने को नही,
पर साधू माला-माल हो रहे हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२०-३-२०१३,वुद्धवार,
रात्रि- ८.३० बजे,
पुणे -महा.
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