ईश्वर ने बनाया है ये सारा जहां,
और वो हम सबका मालिक है ।
हम फूल हैं उसकी बागों के,
और वो हम सब का माली है ॥
वो सृष्टि रचयिता कई रूप मे,
उसके तो नाम अनेकों हैं ।
ईश्वर -अल्लाह- ईसा मसीह,
वो ही गुरु नानक देव जी हैं ॥
पर दुख होता है कभी-कभी,
जब कोई ईन्षान भगवान हैं बन जाते ।
तिनों लोकों का स्वामी बताकर,
वे अपने को है पुजवाते ॥
यदि ऐसा होता पहले तो,
अभी रावण- कंस भी पूजे जाते ।
राम -कृष्ण से देवों की जगह,
हिरण्याकश्यप भी पूजे जाते ॥
हम बन सकते हैं संत -महात्मा,
पर भगवान नही हम बन सकते ।
हम गुरु जगत के हो सकते हैं,
पर कृष्ण-राम नही बन सकते ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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दिनांक-२१-३-२०१३,बृहस्पतिवार,रात्रि- ११.४५ बजे,
पुणे -महा.
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