वसुधा है जोर से, अकुला जाती,
आकाश के तारे, बिखर जाते ।
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते ॥
ये खड़ा हिमालय है, रो उठता,
और समुद्र की लहरें, थम जाते ।
जब भारत मां का ,कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते ॥
पक्षियों का कोलाहल, हो जाता है शान्त,
तो ईन्षान की , क्या हम करें बातें ।
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते ॥
सुर्योदय भी, सकुचा जाता,
और चन्द्रमा अपनी,शीतलता खो देते ।
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते ॥
सरस्वती की वीणा, रुक जाती,
सुर सम्राट भी गीत, नही गा पाते ।
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते ॥
लेखकों की लेखनी, थम जाती,
कवि अपनी कविता, नही हैं कर पाते ।
जब भारत मां का ,कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१७-३-२०१३,रविवार,प्रातः ५ बजे,
पुणे, महा.
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