Monday, 19 February 2024

"जब भारत माँ का कोई बेटा"

वसुधा है जोर से, अकुला जाती,
आकाश के तारे, बिखर जाते
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते

ये खड़ा हिमालय है, रो उठता,
और समुद्र की लहरें, थम जाते
जब भारत मां का ,कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते

पक्षियों का कोलाहल, हो जाता है शान्त,
तो ईन्षान की , क्या हम करें बातें
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते

सुर्योदय भी, सकुचा जाता,
और चन्द्रमा अपनी,शीतलता खो देते
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते

सरस्वती की वीणा, रुक जाती,
सुर सम्राट भी गीत, नही गा पाते
जब भारत मां का, कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते

लेखकों की लेखनी, थम जाती,
कवि अपनी कविता, नही हैं कर पाते
जब भारत मां का ,कोई बेटा,
अपने वतन के लिये, शहीद हैं हो जाते

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१७--२०१३,रविवार,प्रातः बजे,
पुणे, महा.


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