Monday, 19 February 2024

"पश्चिमी सभ्यता की ये हुई दिवानी”

उन्हे शर्म नही है ज़माने से,
इनसे ये जमाना शर्माता है
इनके बेहयायी पूर्ण अंग प्रदर्शन से,
हमारे भारत का दिल घबराता है

पश्चिमी सभ्यता की ये हुई दिवानी,
ये अंग्रेजों जैसा अंग -प्रदर्शन करती हैं
कभी-कभी बाइक पे बैठने का ढंग,
या कभी नैन- मटक्का करती हैं

पढ़ाई का बहाना करते-करते,
ये लव की पढ़ाई पढ़ती हैं
फ़िल्मी नशा मे मदहोश हुई,
ये सपनो की चढ़ाई चढ़ती हैं

ब्वाय-फ़्रेन्ड की परिभाषा,
ये बड़े गर्व से करती हैं
वेलेन्टाइन डे या अन्य दिनो मे,
प्रेम से गले ये मिलती हैं

सपनो मे दिखता माइकल जैक्सन,
डिस्को-डी-जी पे कदम लहराती हैं
मन्दिरों मे जाना इन्हे ठीक नही,
पर क्लबों मे हाजिरी लगाती हैं

अश्लील दृष्यों को देख-देख कर,
मेरी लेखनी भी शरमा रही है
भावी फ़ैशन के दुश्प्रभाव से,
ये भी तो सकुचा रही है

रंगीन जीन्दगी ये चार दिनो का है,
इसपे ना इतरावो
कल का भविष्य तुम्हे पुकार रहा,
अब भी समय है संभल जावो

उन्हे शर्म नही है जमाने से,
इनसे ये जमाना शर्माता है
इनके बेहयायी पूर्ण अंग प्रदर्शन से,
हमारे भारत का दिल घबराता है

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१२--२०१३,मंगलवार,
प्रातः बजे,पुणे ,महा.


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