Monday, 19 February 2024

”दुख आता है सुख देने के लिये”

जब वक्त बुरा हो अपना तो,
अपने भी पराए हो जाते ।
जो सोचे वो होता है नही,
दुश्मन भी सवाए हो जाते ॥

मित्र - मण्डली हो जाते हैं दूर,
सब पिछा उनसे छुड़ा लेते ।
आया बिपत्ति है जान के वे,
निगाहें अपनी फ़िरा लेते ॥

सुख के दिन मे सब के सब,
वे अपना-पन दिखलाते हैं ।
पर दुख के बादल छाते ही,
वे अन्जान से सब बन जाते हैं ॥

सम्मान जहां पाते थे आप,
अपमान वहां सहना पड़ता ।
दोष नही दें उन सब को,
कर्म की गति को जान रहना पड़ता ॥

पर आये दुख तो घबराना नही,
बस सहन-शिलता रखा जाये ।
ईश्वर का ध्यान करें दिल मे,
अपनो को भी परखा जाये ॥

दुख आता है सुख देने के लिये,
इस लिये कभी निराश नही होना ।
बस शान्ति से अपना काम करें,
सुख का आश नही खोना ॥

परिवार मे सब कोई मिल-जुल के ,
दुख के समय को काटना है ।
दिन आएंगे अच्छे अपने,
फ़िर खुश होके हमे इसे बाटना है ॥

जब वक्त बुरा हो अपना तो,
अपने भी पराए हो जाते ।
जो सोचे वो होता है नही,
दुश्मन भी सवाए हो जाते ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१३-३-२०१३,बुद्ध्वार,रात्रि ९ बजे,

पुणे ,महा.

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