यह कैसा है देश हमारा,
जहां हमारे जवानों की हत्या हो जाती ।
बस देते इन्हें हम शहीद की संग्या,
और कुछ सरकारी व्यवस्था हो जाती ॥
हमारे वीरों के शहादत की कीमत,
बस चंद रुपयों मे है आंका जाता ।
संसद मे कुछ शब्द बोल-बोल,
उनके दुख को है बांटा जाता ॥
यह मत भुलो कभी भी ये,
कि हम उनकी वजह से सुरक्षित हैं ।
सीमा पे गोलियां खाते हैं वो,
और हम अन्दर से व्यवस्थित हैं ॥
किसी मांग के सिन्दूर हैं वो,
तो लाल किसी माता के हैं ।
लाज किसी बहनों के हैं वो,
तो किसी के प्यारे पापा हैं ॥
कानून सख्त नही होंगे जब तक,
हम ऐसे ही मारे जायेंगे ।
आतंक का कोई धर्म नही,
वे अपनी कामयाबी पे इतरायेंगे ॥
तुष्टि-करण के नीति से हटकर,
कानून कठोर बनाना होगा ।
जो भारत के बिरोधी हैं,
उन्हे दण्ड-विधा मे लाना होगा ॥
लेना है सबक तो अमरीका से लो,
जो कि नाइन-एलेवन से चौकश है।
इनकी सुरक्षा मे कोई ढील नही,
चाहे आम-आदमी या शासक है॥
यह कैसा है देश हमारा,
जहां हमारे जवानों की हत्या हो जाती।
बस देते इन्हें हम शहीद की संग्या,
और कुछ सरकारी व्यवस्था हो जाती॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१५-३-२०१३,बृहस्पतिवार,
सुबह ५ बजे, पुणे, महा.
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