माता विन्ध्यवासिनी के,
नगरिया चलेंगे...२
आदि शक्ति अम्बे के,
दुअरिया चलेंगे....२
माता विन्ध्यवासिनी के......२
वो तो माई अपनी देखो,
सबसे निराली है...२
भक्तों के विपदा को,
वो तो हरने वाली है....२
हम तो अपनी मइया के,
चरणियां पड़ेंगे.....२
माता विन्ध्यवासिनी के......२
जिनको सहारा नही,
वो देती सहारा है.....२
भक्त चाहे जैसा भी हो,
वो उसका दुलारा है...२
ऐसी महरानी
के,
दरश हम करेंगे....२
माता विन्ध्यवासिनी के......२
दूर से ही माता का,
ध्वजा लहराये....२
भक्तों को ऐसे-जैसे,
मइया बुलाये...२
ऐसे जोता वाली से,
अरजिया करेंगे....२
माता विन्ध्यवासिनी के......२
जल मे थल में,
सब जगह उसका वास है...२
दरश है देती मइया,
जिन्हें विश्वाश है....२
ऐसी शेरावाली के,
भजनियां करेंगे.....२
माता विन्ध्यवासिनी के......२
माता विन्ध्यवासिनी के,
नगरिया चलेंगे...२
आदि शक्ति अम्बे के,
दुअरिया चलेंगे....२
माता विन्ध्यवासिनी के......२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-06-2002,tuesday,01:45pm,(512),
jogapur,bhadohi(U.P)
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