अब तो माँ दया कर दो,
तेरी शरण मे आये हैं ।
खाली झोली भर दो,
बड़ी दूर से आयें हैं ॥
अब तो माँ दया कर दो....
हे माँ अष्टभुजा धारी,
तेरा ही सहारा हमें ।
सब अश तो टूट चुका,
अब अपनी शरण मे ले ले ॥
अब तो माँ दया कर दो....
है आश बड़ी तुझसे,
माँ निराश नहीं करना ।
घनघोर अंधेरे को,
तु उजाले से भर देना ॥
अब तो माँ दया कर दो....
है पास नहीं कुछ माँ,
खाली हाथ ही आये हैं ।
श्रद्धा के आंसू ही,
बस साथ मे लाये हैं ॥
अब तो माँ दया कर दो....
कुछ भूल हुआ हो हमसे,
तो माँ हमको क्षमा कर दो,
चरणों में लेके हमें,
माँ हम पर कृपा कर दो ॥
अब तो माँ दया कर दो,
तेरी शरण मे आये हैं ।
खाली झोली भर दो,
बड़ी दूर से आयें हैं ॥
अब तो माँ दया कर दो....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
12-05-2002,sunday,10:45am,(511),
namakkal,tamilnadu.
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