माँ सुन लो अरज हमारी
हम आये शरण तुम्हारी ।
माँ विनती सुन लो हमारी,
हम हैं माँ बहुत दुखियारी ॥
माँ सुन लो ......
हम विपद मे आज पड़े हैं,
हमपे विपदा है भारी ।
दुःख काटो हमारे मइया,
बस हमे आश तुम्हारी ॥
माँ सुन लो ......
तू है बड़ी दयालू मइया,
तु तो सब पे दया है करती ।
तुझे याद करे जो दिल से,
उनकी हर पल रक्षा करती ॥
माँ सुन लो ......
जो लाल है मांगे तुझसे,
उन्हें लाल कर देती ।
तुझे हर पल ध्याये जो मइया,
उन्हें मन चाहा वर देती ॥
माँ सुन लो ......
लूलों को पांव तु देती,
अंधों को उनकी आखें ।
कोढ़ी को काया देके,
तु लाज है सबकी राखे ॥
माँ सुन लो ......
लोगों से ऐसा सुनके,
हम आए माँ तेरी शरण में ।
उपकार करो माँ हमपे,
ये शीश है तेरी चरण में ॥
माँ सुन लो अरज हमारी
हम आये शरण तुम्हारी ।
माँ विनती सुन लो हमारी,
हम हैं माँ बहुत दुखियारी ॥
माँ सुन लो ......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
21-02-2001,wedenesday,8:00am,(461),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu
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