अब तो रहा नही जाये,तुम बिन गोरिया....२
ओ भुले ना भुलाये तोहरी सुरतिया....
जिया लागे नाहीं,कहां भी, हम का करे...२
अब तो रहा नही जाये......
जब से सजनिया, बिछुड़े हैं हम-तुम...२
बिरह की अगन मे, जल रहा यह तन...२
मन लागे नाहीं, तुम बिन कहीं भी गोरिया..
अब तो रहा नहीं जाये....
कारे बदरवा घिरि-घिरि आवे...२
परवा बयार रहि-रहि तड़पावे....२
पापी पपिहा क बाग, दिल जलावे गोरिया....२
अब तो रहा नहीं जाये....
दिन तो जइसे-तइसे बितावे...२
रतियां में मोहें नींद न आवे....२
हमें हंस के सोहाय न केहुक बोलिया...
अब तो रहा नहीं जाये....
रंग-बिरंगी देखूं तितलिया...२
दिल पे गिरावे रहि-रहि के बिजुरिया....२
वो तो हमको लुभावे हम का करे....
अब तो रहा नहीं जाये....
अब तो रहा नही जाये,तुम बिन गोरिया....२
ओ भुले ना भुलाये तोहरी सुरतिया....
जिया लागे नाहीं,कहांभी, हम का करे...२
अब तो रहा नही जाये......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
19-02-2001,monday,7:30pm,(460),
thoppur,dharmapuri,tamilnadu.
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