आगे का वक्त कैसा होगा,
यह सोच-सोच के मन घबराता है ।
हर दिल मे तो डर भरा होगा,
कोई सुख-चैन से तो न रह पाता है ॥
चारों ही तरफ अराजकता होगा,
कहीं शांति का कोई नाम नही ।
रावण ही रावण तब होंगे,
कहीं कृष्ण या राम नही ॥
धन की लालच मे होगी दुनिया पागल,
कहीं ईमान का देखो नाम नही ।
बेइमानों की संख्या अधिक होगी,
किसी को ईज्जत की परवाह नही ॥
गुरुओं व संतों को भाई,
तब पैसा ही प्यारा होगा ।
शिष्य़ करेंगे उनका मान नही,
उन्हें अभिमान बड़ा ही करारा होगा ॥
माँ-बाप का कहीं सम्मान नही,
बेटे पत्नी भक्ति मे रत होंगे ।
पतिब्रता स्त्रियों के पति,
किसी और के प्यार मे अनुरक्त होंगे ॥
मंहगाई से सब के होंगे बुरे हाल,
किसी-किसी को रोटी नसीब नही ।
भ्रष्टाचार तो सब जगह ही होगा,
और सजा तो मिलेगा निर्दोष को ही ॥
ये चंद दृश्य है जमाने का,
जो अभी भी हो रहे हैं
।
पर आगे का दृष्य बहुत ही भयावह होगा,
अभी जो हम बो रहे हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
11-09-2013,wednesday,11
a.m,(752),
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