राष्ट्रभाषा हिंदी है हमारी,
जिस पर हम सब को नाज है
!
हिंदी मे हो पढ़ना -लिखना,
यह वक्त की आवाज है !!
हिंदी है रेशम का धागा,
तो अन्य भाषाएं मोती हैं
!
एक ही धागे मे बंधे हैं सब
,
हिंदी की निराली ज्योती है
!!
क्षेत्रीय भाषाएं तन के
अंग हैं,
तो हिंदी सबकी धड़कन है
!
अन्य भाषाएं सुंदर फ़ल है,तो,
हिंदी हमारी कल्पवृक्ष
है !!
भारत के उत्तरोत्तर विकास
मे,
हिंदी का बहुत योगदान
है !
आधुनिकता की इस दौड़ मे
हम,
लगता है अन्जान हैं !!
हिंदी बोलना हो धर्म
हमारा,
पढ़ना-लिखना हिंदी मे ही हो
!
अभिमान हमे हो हिंदी
पर,
और दिल भी हमारा हिंदी
ही हो !
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०५/०९/२०००, मंगलवार,रात ८.२० बजे
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)
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