Monday, 19 February 2024

"दिल भी हमारा हिंदी ही हो"

राष्ट्रभाषा हिंदी है हमारी,
जिस पर हम सब को नाज है !
हिंदी मे हो पढ़ना -लिखना,
यह वक्त की आवाज है !!

हिंदी है रेशम का धागा,
तो अन्य भाषाएं मोती हैं !
एक ही धागे मे बंधे हैं सब ,
हिंदी की निराली ज्योती है !!

क्षेत्रीय भाषाएं तन के अंग हैं,
तो हिंदी सबकी धड़कन है !
अन्य भाषाएं सुंदर फ़ल है,तो,
हिंदी हमारी कल्पवृक्ष है !!

भारत के उत्तरोत्तर विकास मे,
हिंदी का बहुत योगदान है !
आधुनिकता की इस दौड़ मे हम,
लगता है अन्जान हैं  !!

हिंदी बोलना हो धर्म हमारा,
पढ़ना-लिखना हिंदी मे ही हो !
अभिमान हमे हो हिंदी पर,
और दिल भी हमारा हिंदी ही हो !

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-०५/०९/२०००, मंगलवार,रात  ८.२० बजे
चंद्रपुर (महाराष्ट्र)



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