Monday, 19 February 2024

"धर्म वही होता है धर्म"

दुनिया मे धर्म अनेकों हैं,
और उन सब की अलग कहानी है ।
सबकी अलग-अलग परिभाषा है,
और सब की अपनी निशानी है ॥

पर धर्म वही होता है धर्म,
जहां हिंसा व अत्याचार न हो ।
ईन्षानियत सिर्फ एक मजहब हो,
कुरीतियां व दुराचार न हो ॥


मानव-मानव मे प्रेम हो जहां,
औए ऊंच-नीच का भेद न हो ।
नफरत की कहीं हो न दीवार,
और किसी भी तरह का द्वेष न हो ॥


हर तरह के जीव-जन्तुवों को,
जीने का अधिकार हो ।
नारियों को भी उचित सम्मान मिले,
और उन पर हिंशा या व्यभिचार न हो ॥


सारा संसार हो परिवार हमारा,
ना ही देश की कोई सीमा हो ।
ना ही घमंड हो हमे किसी चीज का,
ना ही झूठी गरिमा हो ॥


ये भी कभी न भुले हम कि,
ईश्वर केवल एक ही है ।
हम सब बच्चे हैं उस परमेश्वर के,
जिसके नाम-रूप अनेक हैं ॥

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-१८--२०१३, सोमवार, प्रातः ५ बजे,
पुणे-महा.





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