नींदिया रानी-नींदिया रानी,
आके हमें सुलावो ।
दिन भर के थके हैं हम,
हमें अपने पास बुलावो ॥
नींदिया रानी-नींदिया रानी...
रंग-बिरंगे सपनों की,
हमको सैर करावो ।
रात सुनहरी हो जाये,
ये तुम हमे दिखावो ॥
नींदिया रानी-नींदिया रानी...
सैर करावो हमे तुम उनकी,
चमकते चाँद-सितारों की ।
सुंदर-सुंदर दृश्य दिखावो,
खुश्बू भरी उन बहारों की ॥
नींदिया रानी-नींदिया रानी...
नील गगन की परियों से,
हमको आज मिलावो ।
उड़न तश्तरी में बैठाकर,
हमको सैर करावो ॥
नींदिया रानी-नींदिया रानी...
निकले सुरज जब नील गगन से,
तब तुम हमे जगाना ।
दिन भर की हमको छुट्टी देकर,
रात को फिर तुम आना ॥
नींदिया रानी-नींदिया रानी...
नींदिया रानी-नींदिया रानी,
आके हमें सुलावो ।
दिन भर के थके हैं हम,
हमें अपने पास बुलावो ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
09-12-2000,saturday,9:30am,(425),
chandrapur,maharashtra.
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