Monday, 19 February 2024

लोरी (नींदिया रानी-नींदिया रानी)

नींदिया रानी-नींदिया रानी,
आके हमें सुलावो
दिन भर के थके हैं हम,
हमें अपने पास बुलावो
नींदिया रानी-नींदिया रानी...

रंग-बिरंगे सपनों की,
हमको सैर करावो
रात सुनहरी हो जाये,
ये तुम हमे दिखावो
नींदिया रानी-नींदिया रानी...

सैर करावो हमे तुम उनकी,
चमकते चाँद-सितारों की
सुंदर-सुंदर दृश्य दिखावो,
खुश्बू भरी उन बहारों की
नींदिया रानी-नींदिया रानी...

नील गगन की परियों से,
हमको आज मिलावो
उड़न तश्तरी में बैठाकर,
हमको सैर करावो
नींदिया रानी-नींदिया रानी...

निकले सुरज जब नील गगन से,
तब तुम हमे जगाना
दिन भर की हमको छुट्टी देकर,
रात को फिर तुम आना
नींदिया रानी-नींदिया रानी...

नींदिया रानी-नींदिया रानी,
आके हमें सुलावो
दिन भर के थके हैं हम,
हमें अपने पास बुलावो

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
09-12-2000,saturday,9:30am,(425),
chandrapur,maharashtra.


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