है गमों से भरी जिन्दगी ये मेरी ,मै खुशियों की अभिलाषा कैसे करूं !
जिन्दगी मेरी ये दुख की बदली भी है, मै सुख की आशा कैसे करूं !!
है गमो से.............
मै खुशी के लिए तो तरसता रहूं,पर खुशी है की ये मुझको मिलती नही !
मै घने जंगलो मे भटकता रहूं, पर छाया है कि ये मुझको मिलती नही !!
है गमों से भरी................
मै परेशान हुं अपनी ही तकदीर पर,मै जिसे चाहता वो है मिलती नही !
मै जिस भी कली को छु लूं अगर,वो खिलती हुई भी है खिलती नही !!
है गमो से..............
मेरी तकदीर है मुझसे रुठी हुई,जो कि गम की कतारो का तोहफ़ा दिया !
मै दुनिया की चालो से मजबुर हो,मैने अपने को बिकने का सौदा किया !!
है गमो से...................
कभी रोने का गम,और कभी बिछुड़ने का गम,कभी हसने का गम,कभी मिलने का गम !
कभी आने का गम,कभी जाने का गम,कभी जीने का गम,कभी मरने का गम !!
है गमो से................
ये है मोहन गमों का मारा हुआ,जिसके पिछे पड़े है ढेरों सारे गम !
ये मांगे खुदा से बस एक ही दुआ,कभी किसी को सताए ना कोई गम !!
है गमो से भरी...............
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२०/०१/१९९२ ,सोमवार,रात्रि- १०.२५ बजे,
चन्द्रपुर,(महाराष्ट्र)
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