आजादी की इस अनुपम बेला पर,सबको मेरा अभिवादन है !
इस आजादी के पिछे ,कितने छिपे रहस्योद्घाटन है !!
इस स्वतन्त्रता के खातिर ,कितनो ने दुख झेले होंगे !
आजादी के रण-बांकुरो ने कितने सहे झमेले होंगे !!
कितने अरमान रहे होगे उनके,कैसे सजाए सपने थे !
उनके सपने सब बिखर रहे कैसे,जैसे वे कभी अपने न थे !!
इस सोने की चिड़िया को कभी,कई विदेशियो ने लूटा है !
पर अपने ही लोगो के कहर से,ये, कितना अन्दर से टूटा है !!
भारत माता के सिने मे, कितने हुए हवाले हैं !
जितने सर पर इसके बाल नही,उतने हुए घोटाले हैं !!
कहीं युरिया घोटाला,चारा घोटाला कई और भी है !
दवा,जमीन,अनाज घोटाला,२ जी घोटाला तो सिर मौर ही है !!
घोटालों का बाढ़ आ गया,जिसका गिनती कर पाना मुश्किल है !
बडे-बड़े कई शहनशाह,जो की इसमे शामिल है !!
घोटालों के ये शहनशाह ,पकड़े जाने पर ऐंठ दिखाते है !
इनकी बातों को करने से ऐसा लगता,कि हम पर अहसान जताते है !!
प्यारे भारत की गोदी मे,यदि सब कुछ ऐसे चलता ही रहा !
वो दिन दूर नही जब कभी भी,श्मसान बन जाएगा ये सारा जहां !!
मुर्दे न बनो मेरे प्यारों,इसे ऐसे ही न उजड़ने दो !
आजादी के उन मतवालों के,सुन्दर सपने सच कर दो !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२१/१२/१९९७,रविवार,सुबह,६.३० बजे,
चन्द्रपुर(महाराष्ट्र)
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