दिल मे है दर्द मेरे
,आंखों मे अंधेरा सा है
!
बड़ी उलझन मे हूं,और गम का बसेरा सा है
!!
दिल मे है दर्द मेरे......
है आंसू से भरी, इन आंखों का कोई कुसूर नही
!
जिन्दगी मेरा सुलगता हुआ,धुआं सा है !!
दिल मे है दर्द मेरे............
इस बिरानी सी जगह मे, मै अकेला हूं यहां !
कोई लगता नही है दूर भी, अपना सा है !!
दिल मे है दर्द मेरे.........
अब तो मायुशी है ,चेहरे पे झलकती है मेरे
!
मेरा अपना ये दिया तो, बुझा-बुझा सा है !!
दिल मे है दर्द............
है ये बारिस की ये रिमझिम,सी फ़ुहारों की कसम !
मेरा जीवन तो ये, तपता हुआ ,अंवा सा है !!
दिल मे है दर्द मेरे ,आंखो मे अंधेरा सा है !
बड़ी उलझन मे हूं,और गम का बसेरा सा है !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२/९/१९९८,शाम ५.३० बजे,दहानू रे.स्टे.
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