Monday, 19 February 2024

जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये

जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये,
कोई जाने नही-पहचाने नही
देखो क्या-क्या ये गुल खिलाये,
कोई जाने नही-पहचाने नही
जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये.....

कभी हंसती है ये जींदगी तो,
कभी रोती है पल भर मे देखो
कभी मिलते हैं सम्मान इसको,
कभी मिलते हैं अपमान देखो
कब तक सफर यूं चलेगा...
कोई जाने नही-पहचाने नही
जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये.....

मुश्किलों से ये लड़ना सिखाये,
मीठे-मीठे जहर ये पिलाये
मौत हो मांगती कोई आखें,
उनमे जीने की चाहत जगाये
जींदगी एक पहेली है यारों,
कोई जाने नही-पहचाने नही
जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये.....

कभी आती बहारें खुशी की,
कब सफर हो खतम जींदगी का
बस सहारा है आशा ही इसका,
चलता रहता सफर जींदगी का
कोई जाने नही-पहचाने नही
जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये.....

जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये,
कोई जाने नही-पहचाने नही
देखो क्या-क्या ये गुल खिलाये,
कोई जाने नही-पहचाने नही
जींदगी रूप क्या-क्या दिखाये.....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
19-08-2001,sunday,09:10am,(500),
At vijayvada Rly.stn.





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