हम जिस देश मे रहते हैं, उसके हैं सिपाही ।
या हो हिन्दू,मुस्लिम, या सिक्ख ,इसाई ॥
हम खाते हैं नमक हिंद का, तो गद्दार ना बनें ।
जय हिन्द बोलने का, प्रतिकार ना करें ॥
हमे तबाह करना चाहते हैं, देश के दुश्मन ।
पर उनके नापाक इरादों को, कर देंगे हम खतम ॥
हम हैं गुरू जगत के, हम ऐसे ही रहेंगे ।
हर वार का मुकाबला, हम डट कर करेंगे ॥
इतिहास है गवाह ,ये बीरों का देश है ।
दुनिया मे जितने देश हैं ,ये सबमे श्रेष्ठ है ॥
हम प्यार की बोली से, शीघ्र पिघल जाते हैं ।
पर दुश्मन को अपने हम तो, निगल ही जाते हैं ॥
हमे अपने देश पर, गर्व बहुत है ।
बैशाखी,ईद , होली जैसे पर्व बहुत हैं ॥
हर क्षेत्र मे देखो ,हमारा भारत महान है ।
हम हंसते हुये देश पे, होते कुर्बान हैं ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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२५-४-२०१३,बृहस्पतिवार,६ बजे शाम,
पुणे, महा.
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