संसार में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं,
जो धन के मद में टेढ़ा न हो ।
प्रभुता,सम्मान को मिलने से,
जो जान बूझ के बहरा न हो ॥
जगत मे ऐसा कौन है जो,
जिसे लालच ने तबाह किया न हो ।
सुंदर स्त्री के नयन बाण,
किसके दिल को लगा न हो ॥
ऐसे ही जाल में फंस जाते हैं लोग,
जिनका सब कुछ तबाह है हो जाता ।
या हो योगी या महापुरुष,
जिनका सब कुछ प्रवाह मे है बह जाता ॥
बुरी आदतों में सबसे खराब,
छिनरपना व चोरी है ।
अपने भी साथ नहीं देते,
चाहे कोई कितना करोणी है ॥
कानून सजा उसे दे ना दे,
पर वह स्वयं ताप मे जलता रहता ।
मौत मांगने पर भी नहीं मिलती है उसे,
और वह हर पल पश्चाताप मे रहा करता ॥
मौत मांगने पर भी नहीं मिलती है उसे,
और वह हर पल पश्चाताप मे रहा करता....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
friday,13-09-2013,10:45
am,(757)
mahavir
nagar,raipur(C.G)
No comments:
Post a Comment