ऐ शराब पीने वालों ,अब होश मे तो आवो !
अनमोल जिन्दगी को ,ऐसे ही ना गवांवो !!
पीते शराब तुम हो , मगर तुमको ये पीती रहती !
खुश हो रहे तुम , मगर. ये तुम पर ही जीती रहती !!
बोतल मे बन्द ये पर ,तुम नजर है इसकी !
मतवाली काली नागिन ,जैसी जहर है इसकी !!
ईंषान तुम थे तब तक, जब तक नही पिए !
हैवान बन गए हो,जब से इसे लिए !!
गुलशन सी जिन्दगी मे ,आग बन कर आई !
रोशन सी जिन्दगी मे, ये मौत बन कर छाई !!
कुछ बिगड़ा नही है अब भी ,अपने को तुम संभालो !
जहरीले प्याले को तुम ,अमृत रस से भर लो !!
मोहन की आरजू है, तुम ना बनो शराबी !
दिल से मेरी दुआ है, तुम्हे मिले कामयाबी !!
ऐ शराब पिने वालों.................
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
२८/१२/१९९७ चन्द्रपुर(महाराष्ट्र)
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