तकदीर बनाने वाले तू,
ऐसी तकदीर बनाई क्युं ।
जहां आग के बदले धुआं निकले,
ऐसी तश्वीर दिखाई क्युं ॥
तकदीर बनाने वाले तू....
उजाले की तरफ मैं जब जाऊं,
बस अंधेरा ही वहां पे मिलता है ।
जब दर्द उन्हें मैं बतलाऊं,
उनका चेहरा खिल उठता है ॥
तकदीर बनाने वाले तू....
कांटे ही कांटे मिले हमको,
फूलों का चाह बना ही रहा ।
अब तूं ही बता दे जरा हमको,
अपनों का साथ तो छूट रहा ॥
तकदीर बनाने वाले तू....
दिल मोम है ये पत्थर तो नहीं,
जो हर बार ही घाव को सहता रहे ।
आंसू है ये कोई और नहीं,
जो झरनें की तरह ही बहता रहे ॥
तकदीर बनाने वाले तू....
गम के साये मे रहकरके,
खुशी क्या होता हम भूल गये ।
बर्फिली सर्द हवाओं से,
हमें हर ओर से क्युं तुम जलाते गये ॥
तकदीर बनाने वाले तू,
ऐसी तकदीर बनाई क्युं ।
जहां आग के बदले धुआं निकले,
ऐसी तश्वीर दिखाई क्युं ॥
तकदीर बनाने वाले तू....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
18-01-2001,5:15am,(441),
dharmpuri,tamilmadu.
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