Monday, 19 February 2024

गजल (दर्द सिने मे छिपाऊं तो मुश्किल)

दर्द सिने मे छिपाऊं ,तो है मुश्किल !
दर्द किसको भी मै बताऊं, तो  है मुश्किल !!
दर्द सिने मे.............

मुझे ईज्जत मिली,शोहरत मिला,दुनिया की तरफ़ से !
लेकिन अपनों ने बनाया है, हमे तो मुजरिम !!
दर्द सिने मे...................

मुझे दुनिया की तरफ़ से है, प्यार मिला !
पर अपनों से मुझे ,हर पल है नफ़रत ही मिला !!
दर्द सिने मे.............

मेरे आखों से तो ,आंसू नही निकले है मगर !
दिल के आंसू तो ,हमेशा से बहता ही रहे !!
दर्द सिने मे...............

चंद खुशियों की बरसात से,भीगा है मगर !
पर मुझे ठोकर के सिवा,औरों से कुछ भी मिला !!
दर्द सिने मे ..........

मै तो बच-बच के ,कदमों को बढ़ाता ही रहा !
पर मुझे ठोकर के सिवा,औरों से कुछ भी मिला !!

दर्द सिने मे छिपाऊं, तो है मुश्किल !
दर्द किसको मै बताऊं, तो है मुश्किल !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१८//१९९९,दोपहर १२.१५ बजे

चन्द्रपुर महा.

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