चांदनी रात है आज मेरे सनम,
अब मुझको गले से लगा लीजिए !
उठ रहा दर्द दिल मे मेरे आज है,
दर्द दी है तो इसकी दवा दीजिए !!
चाँदनी रात है.........
सेज फ़ूलों से कैसे सजाई हुई,
इसकी खुशुबू मे आकर नहा लीजिए !
बन गई आज दुल्हन मै आज तेरे लिए,
रात सुहाग की तो मना लीजिए !!
चांदनी रात.......
हो सुहाना सफ़र जिन्दगी का मेरे,
अब अपनी मुझे तुम रज़ा दीजिये !
तेरी सुरत को दिल मे बसाए रहूं,
कभी हमको ना अपने से जुदा कीजिये !!
चांदनी रात.........
होश में मै नही आज मदहोश हूं,
गिर रही आके मुझको उठा लीजिए!
सर्द सी लग रही अब मुझे साथिया,
गर्म बाहों मे अब तो छिपा लीजिए!!
चांदनी रात.............
रात ढलने लगी सुबह होने लगा,
दर्द दिल का मेरे तो मिटा दीजिए !
आ गए आप तो जाइयेगा नही,
ख्वाब मेरे खुशी से सजा दीजिए!!
चांदनी रात.........
अश्क खुशियों का आखों मे आया मेरे,
अपनी आंखो से इसको मिटा दीजिए !
दुआ दिल से मोहन की आपको,
और हमको भी दिल मे बसा लीजिए !!
चांदनी रात है आज मेरे सनम,
अब तो मुझको गले से लगा लीजिए !
उठ रहा दर्द दिल मे मेरे आज है,
दर्द दी है तो इसकी दवा दीजिए !!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
१/५/१९९९,चन्द्रपुर महा...
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